
पीलिया तब हो सकता है!
रक्त में लाल कणों की आयु 120 दिन होती है। रक्त में ‘बाइलीरविन’ नाम का एक पीला पदार्थ होता है। यह ‘बाइलीरविन’ लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है। इससे शरीर में पीलापन आने लगता है। यकृत के पूरी तरह से कार्य न करने से भी पीलिया होता है। पित्त यकृत में पैदा होता है। यकृत से आँतों तक पित्त पहुँचाने वाली नलियों में पथरी, अर्बुद, किसी विषाणु या रासायनिक पदार्थों से यकृत के सैल्स में दोष होने से पित्त आँतों में पहुँचकर रक्त में मिलने लगता है। त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है।
अधिकतर अभिष्यन्दि पीलिया (Catarrhal Jaundice) होता है। इसमें कुछ दिनों तक जी मिचलाता है, बड़ी निराशा प्रतीत होती है। आँखें, त्वचा पीली होती हैं। जीभ पर मैल जमा रहता है तथा 99 -100 डिग्री तक ज्वर रहता है। यकृत और पित्ताशय स्थान स्पर्श करने पर कोमल प्रतीत होता है। पेशाब गहरे रंग का, टट्टी बदबूदार, मात्रा में अधिक और पीली होती है।
लक्षण
पीलिया में नाड़ी की गति कम (लगभग 45 प्रति मिनट); घी, तेल आदि चिकने पदार्थ नहीं पचते; यकृत में कड़ापन और दुखना; शरीर, आँखें, नाखून, मूत्र पीले दिखते हैं। शरीर में में खुजली-सी चलने लगती है। शरीर में भी चोट लगने या किसी कारण से रक्त बहने लगे तो रक्त बहुत अधिक मात्रा में बहता है। नेत्रों का सूखना, रात्रि को बहुत कम दिखता है। वजन कम होना, पतले दस्त लगना, भूख कम लगना, पेट में गैस (वायु) बनना, मुँह का स्वाद कड़वा, शरीर में कमजोरी-सी रहना, ज्वर भाव इसके प्रमुख लक्षण हैं।

इसके रोगी को पूर्ण विश्राम देना चाहिए। भोजन में तरल पदार्थ दलिया, खिचड़ी, पुराने चावल का भात, हरी पत्तियों की सब्जी, लोहे की कढ़ाई में गरम किया हुआ दूध, नमक मिलाकर छाछ पीना लाभदायक है। माँस, मछली, घी, तेल, तले हुए पदार्थ, चिकनाईयुक्त कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए। आवश्यकता हो तो एनिमा लगाना चाहिए। पीलिया के प्रारम्भ में ग्लूकोज, गन्ने का रस अधिकाधिक देना चाहिये। निम्न पदार्थों का नियमित सेवन कुछ दिन करने से रोग शीघ्र ठीक हो जाता है।
बादाम
आठ बादाम, 5 छोटी इलायची, दो छुआरा रात को मिट्टी के कोरे कुल्हड़ में भिगोयें। प्रातः बारीक पीसकर 70 ग्राम मिश्री, 70 ग्राम मक्खन मिलाकर चटायें। चौथे दिन ही पेशाब साफ आयेगा। मैंने इसका अनुभव किया है। आलूबुखारा, तरबूज, टमाटर, खरबूजा, नारंगी खाना पीलिया में लाभदायक है।
इमली
इमली को पानी में भिगोकर, मथकर पानी पीना उपयोगी है। लौकी-लौकी को धीमी आग में दबाकर भुर्ता-सा बना लें, फिर इसका रस निचोड़ कर तनिक मिश्री मिलाकर पीयें। यह पीलिया में लाभकारी है।
करेला
पीलिया में एक करेला पीसकर पानी मिलाकर सुबह-शाम नित्य पिलायें।
फिटकरी
200 ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी घोल कर पिलायें। बच्चों के अनुपान
में मात्रा कम लें। दिन भर केवल दही ही सेवन करें। पीलिया शीघ्र ठीक होगा। किसी-किसी को
उलटी हो जाये तो घबरायें नहीं।

चना
चने की दाल पानी में भिगो दें। फिर दाल निकाल कर समान मात्रा में गुड़ मिलाकर तीन दिन तक खायें। प्यास लगने पर दाल का वही पानी पीयें। सौंठ-12 ग्राम सौंठ गुड़ के साथ लेने से पीलिया में लाभ होता है। आँवला-ताजे आँवले का रस 60 ग्राम, शहद 23 ग्राम आधा गिलास पानी में मिलाकर पीने से पीलिया में आराम होता है।
पीपल
यह काली-सी होती है। पंसारी के मिलती है। तीन पीपल 3 चम्मच छाछ में भिगो दें। 24 घण्टे भीगने के बाद पीपल को पीसकर जरा-सा नमक मिलाकर पानी के साथ पी जायें। क्रमश: नित्य एक-एक पीपल बढ़ाएँ। जब दस पीपल हो जायें तो एक-एक पीपल कम करें।
- यकृत,
- प्लीहा,
- पुराना ज्वर,
- भूख कम लगना,
- अपच के दस्त आदि ठीक हो जाते हैं,
- पुराने ज्वर में तो यह बहुत लाभ करती है।
प्याज
(1) प्याज काटकर नीबू के रस में डाल दें। ऊपर से नमक, काली मिर्च डाल दें। इस प्रकार सुबह-शाम एक प्याज खाने से पीलिया दूर होगा।
(2) सफेद प्याज के आधा कप रस में गुड़ और पिसी हुई हल्दी मिलाकर प्रातः व शाम को पीने से लाभ होता है।
साँट
12 ग्राम सौंठ गुड़ के साथ लेने से पाण्डुरोग में लाभ होता है।
गाजर
गाजर पीलिया की प्राकृतिक औषधि है। योरोप में पीलिया के रोगियों को गाजर का रस, गाजर का सूप या गाजर का गर्म – गर्म काढ़ा देने का रिवाज है।
फूल गोभी
फूल गोभी का रस एवं गाजर का रस समान मात्रा में एक-एक गिलास तीन बार पिलाने से पीलिया में लाभ होता है।
मूली
(1) कच्ची मूली नित्य प्रातः उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है।
(2) मूली के पत्तों का रस 125 ग्राम में 30 ग्राम चीनी मिलाकर छानकर प्रातः पीयें। पीते ही लाभ होगा। यह सब प्रकार के पीलिया में लाभप्रद है।
गन्ना
जौ का सत्तू खाकर ऊपर से गन्ने का रस पीयें। एक सप्ताह में पीलिया ठीक हो जायेगा। गन्ने का रस दिन में कई बार पीयें। तरल पदार्थ अधिक लें लें ।
शहद
नित्य तीन बार एक-एक चम्मच शहद पानी के गिलास में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
पपीता
छिलके सहित कच्चा पपीता 75 ग्राम चटनी की तरह बारीक पीस कर 250 ग्राम पानी में घोल लें । स्वाद के अनुसार चीनी या ग्लूकोज मिलाकर पीलिया के रोगी को तीन बार नित्य पिलायें। कुछ ही दिनों में पीलिया ठीक हो जायेगा। इसे अति स्वादिष्ट बनाने के लिए स्वादानुसार नीबू, काली मिर्च मिला सकते हैं। बच्चों के लिए मात्रा कम लें। पपीते में जो दूध होता है, वह लाभ करता है।
छाछ
एक गिलास छाछ में 10 काली मिर्च पीस कर मिलाकर एक बार नित्य जब तक पीलिया रहे, पिलाते रहें।
पोदीना
पोदीने की चटनी नित्य रोटी के साथ खाने से पीलिया में लाभ होता है।