
पेट में गैस होने के लक्षण
Gas ka dard ka ilaj पेट में हवा भरने को आध्मान, उदर-बायु, आफरा, गैस बनना होना कहते हैं। उदर-वायु एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेट में वायु एकत्रित होती है। आँतों और पेट दोनों में एक साथ वायु अपच, कब्ज के कारण एकत्रित होती है। वायु निगलने से जो वायु पेट में एकत्रित होती है उसे स्नायविक उदर-वायु कहते हैं। पेट में अधिक वायु एकत्रित होने से पेट फूल (Distension) जाता है।
कभी हृदय में फड़फड़ाहट (Fluttering) होने लगती है और लोग इसे हृदय रोग समझ लेते हैं। यह पेट की खराबी से होता है। कभी पेट सख्त हो जाता है। facebook page follow स्वस्थ रहने के लिए भोजन में मसाले भी आवश्यक हैं। प्राय: हल्दी, धनिया, नमक, मिर्च मसालों के रूप में प्रयोग किये ही जाते हैं। हींग भूनकर सेवन करने से वायु (वात) प्रकृति, जीरा पित्त प्रकृति एवं गर्म मसाले कफ प्रकृति को ठीक रखते हैं।

पेट में गैस – घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं
गुड़-खाने के बाद गुड़ खाने से उदर-वायु ठीक होती है। gas ka dard ka ilaj
नारंगी-इससे यकृत रोग ठीक होते हैं। गैस या किसी भी कारण से जिनका पेट फूलता हो, भरा रहता हो, अपच हो, उनके लिए यह लाभकारी है। प्रातः नारंगी का रस एक गिलास पी लिया जाये तो आँतें साफ हो जाती हैं, जिससे कब्ज नहीं रहती।
अमरूद-अमरूद से गैस दूर होती है। इसे सैंधे नमक के साथ सुबह-शाम खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
फूल गोभी-कच्ची गोभी व गाजर का रस समान मात्रा में मिलाकर पीयें, गैस नहीं बनेगी।
काली मिर्च-दस काली मिर्च पीस लें। गर्म पानी में नींबू निचोड़ कर सुबह-शाम इसकी फैकी लें। इससे गैस आना बन्द हो जायेगा।
धनिया-दो चम्मच सूखा धनिया एक गिलास पानी में उबाल कर छान कर उस पानी को तीन बार बराबर मात्रा में पीयें।
दालचीनी-गैस से पेट दर्द को यह नष्ट करती है। इसे में नुकसान करती है। अल्प मात्रा में ही लें।
सहजन-पेट में वायु संचय में सहजन की सब्जी (फूल या फली की) लाभदायक है। gas ka dard ka ilaj
साँस-भोजन के बाद सीधे लेटकर आठ लम्बे साँस लें, फिर दाहिनी करवट लेकर सोलह साँस लें और अन्त में बाँयी करवट लेकर बत्तीस लम्बे साँस लें। इस क्रिया से, किया हुआ भोजन यथास्थान पहुँच जायेगा। गैस मुँह से डकार के रूप में या गुदा से अपान वायु के रूप में उसी समय निकल जाती है। यह छोटा-सा नुस्खा सदा अपने तकिये के पास लिखा हुआ रखें और यह क्रिया करें, गैस से बचे रहें।
लौंग-5 लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें, फिर कुछ ठण्डा होने पर पीयें। इस प्रकार तीन बार नित्य करें। गैस निकल जायेगी। हींग-हींग को गर्म पानी में घोलकर नाभि के आसपास लेप करें तथा एक ग्राम हींग भूनकर किसी भी चीज के साथ खाने से लाभ होता है। यदि पेट दर्द गैस भरने से हो तो दो ग्राम हींग आधा किलो पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर गर्म-गर्म पीयें।
अजवाइन-6 ग्राम पिसी हुई अजवाइन में डेढ़ ग्राम काला नमक मिलाकर भोजन के बाद गरम पानी से फँकी लेने से आफरा मिटता है। अजवाइन पेट की वायु को बाहर निकालती है। भोजन में किसी भी रूप में अजवाइन लेनी चाहिए।
बैंगन-पेट में गैस बनती हो, पानी पीने के बाद पेट इस प्रकार फूलता है, जैसे फुटबाल में हवा भर जाती है। ताजा लम्बे बैंगन की सब्जी जब तक मौसम में बैंगन रहें, खाते रहें। इससे गैस की बीमारी दूर हो जायेगी।
पोदीना– प्रातःकाल एक गिलास जल में 25 ग्राम पोदीने का रस, 31 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस की बीमारी में विशेष लाभ होता है।
मेथी-मेथी का शाक गैस में लाभ करता है। दाना मेथी, अर्जुन की छाल, कैर, आँवला समान मात्रा में पीस कर 1-1 चम्मच ठंडे पानी से प्रातः भूखे पेट फँकी लेने से गैस, पेट का भारीपन, भूख ठीक लगना, शरीर में हल्कापन लगता है।
दूध-दूध उबालते समय उसमें एक पीपल डालकर दूध पीने से वायु नहीं बनती।
अदरक-6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर दिन में एक बार 10 दिन भोजन से पहले खायें। इससे पेट की गैस दूर होगी।
सरसों का तेल–नाभि के स्थान से हटने से सही काम न करने से प्राय: पेट में गैस, दर्द, भूख न लगना आदि होते हैं। इनको दूर करने के लिये नाभि को सही बैठाना चाहिए। नाभि पर सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। रोग की तीव्रता होने पर रुई का फोया सरसों के तेल में भर कर नाभि पर रख सकते हैं, इसको पट्टी से बाँध सकते हैं।
जायफल-जायफल को नीबू के रस में घिसकर चाटने से दस्त साफ होकर गैस दूर हो जाती है, दस्त आने लगते हैं।
नमक-सेंधा नमक एक भाग, देशी चीनी (बूरा) चार भाग, दोनों मिला कर बारीक पीस लें। आधा चम्मच नित्य तीन बार गरम पानी से लेने से वायु-गोला एवं गैस ठीक हो जाती है।
पानी-गैस होने पर खाना खाने के बाद एक गिलास गरम-गरम पानी, जितना गरम पिया जा सके, लगातार कुछ सप्ताह पीते रहने से गैस ठीक हो जाती है।
मूली-भोजन के साथ मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर दो माह तक नित्य खाने से उदर-वायु, गैस, आफरा नहीं बनता।

सौंफ-नीबू के रस में भीगी हुई सौंफ को भोजन के बाद खाने से है, गैस निकलती है, भूख लगती है तथा मल भी साफ होता है। पेट का भारीपन दूर होता
सेब-सेब का रस पाचन-अंगों पर पतली तह चढ़ा देता है जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं। गैस उत्पन्न होना रुक जाता है। मलाशय और निचली आँतों में दुर्गन्ध, संक्रमण नहीं होता।
हल्दी-पेट में जब गैस एकत्रित हो जाती है तो बड़ा दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक पाँच-पाँच ग्राम गरम पानी से लें। तुरन्त लाभ होगा।
काली मिर्च
(1) दस पिसी हुई काली मिर्च फाँक कर ऊपर से गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर सुबह-शाम पीते रहने से गैस बनना बन्द हो जाती है।
(2) 6 काली मिर्च, 3 लौंग स्वादानुसार रोटी सब्जी में डाला जाने वाला नमक एक कप पानी में उबाल कर पीने से गैस बनना बन्द हो जाता है।
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