

गुरु का अर्थ होता है “वह जो अज्ञान से ज्ञान की ओर प्रकाश ले जाता है“। योग में एक गुरु आपको उचित मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करता है। गुरु सच्चे पथ प्रदर्शक होता है। हमारे जीवन में गुरु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। मनुष्य के लिए भगवान से भी बढ़कर गुरु को माना जाता है क्योंकि भगवान हमें जीवन प्रदान करता है। और गुरु हमें शिक्षा देकर इस जीवन को सही ढंग से जीना सिखाते हैं उसी प्रकार योग गुरु शरीर को स्वस्थ रखने में मार्ग दर्शन करके आत्मा को परमात्मा से जोड़ते है। योग गुरु वह व्यक्ति होता है जिसकी मार्गदर्शन में आप योग प्रक्रियाओं को समझ, सीखते और अनुभव करते हैं। योग के पथ पर योग गुरु का महत्व
- ज्ञान और अनुभव: योग गुरु आपको योग के तत्वों, योगासनों, प्राणायाम, ध्यान और मेधावी तकनीकों के बारे में विस्तृत ज्ञान और अनुभव प्रदान करते हैं। वे आपको सही तरीके से कैसे योग करें, विभिन्न योगासनों के लाभ, सांस लेने की तकनीकों, मन को शांत करने के लिए ध्यान करने की विधि और आध्यात्मिक विकास के लिए उपयुक्त तत्वों के बारे में शिक्षा देते हैं।
- मार्गदर्शन और समर्थन: योग में सफलता के लिए एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है जो आपको सही मार्ग पर ले जाए। योग गुरु आपको उचित दिशा देते हैं, आपकी गलतियों को सुधारने में मदद करते हैं, आपके प्रगति को देखते हैं और आपको प्रोत्साहित करते हैं। वे आपके योग साधना को समर्थन और प्रोत्साहन देते हैं ताकि आप अपने लक्ष्यों तक पहुंच सकें।
- अध्यात्मिक निरंतरता: योग गुरु ने अपने आध्यात्मिक साधना के माध्यम से आपकी प्रेरणा और साधना में अग्रणी भूमिका निभाई होती है। उनके मार्गदर्शन में, आप ध्यान, मनन और आत्म-अध्ययन को स्थिर रखने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। योग गुरु की मार्गदर्शन में रहकर, आप अध्यात्मिक उन्नति का सामर्थ्य प्राप्त करते हैं और अपने स्वयं के अंतरात्मा से जुड़ सकते हैं।
- मानसिक स्थिरता: योग गुरु के मार्गदर्शन में योग की अभ्यास प्रक्रिया में लगातारता और अनियमितता का महत्व समझाया जाता है। योग गुरु आपको मानसिक स्थिरता और नियंत्रण के लिए अनुभव और विशेष तकनीक सिखाते हैं। योगासन, प्राणायाम, और ध्यान के माध्यम से आप मानसिक तनाव को कम करने, मन को शांत करने, स्थिरता को विकसित करने, और एकाग्रता को प्राप्त करने का सीखते हैं।
डॉ. अंजली स्वामी (संस्थापक अंजली योगा सेंटर जयपुर) ने कहा कि विश्व आज गुरु पूर्णिमा मना रहा है, हम सभी अपने गुरु को सम्मान दें जिन्होंने योग के विशाल ज्ञान को हमारे जीवन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक योग गुरु की मार्गदर्शन में रहकर, आप अपने शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित कर सकते हैं और आपका जीवन स्वस्थ, स्थिर और खुशहाल बना सकते हैं।
शिव का अभिन्न रूप हैं गुरु
जगत में गुरु बहुत होते हैं। लेकिन असल में गुरु वह है, जो ‘शक्तिपात’ द्वारा कुण्डलिनी को जगाता है। यानी मानव देह में परमेश्वरी शक्ति को संचारित कर देता है। जो योग की शिक्षा देता है, ज्ञान की मस्ती देता है, भक्ति का प्रेम देता है, कर्म में निष्काम रहना सिखा देता है, जीते जी मोक्ष दे देता है। वह परम गुरु शिव का ही अभिन्न रूप है।
सिद्धयोग में सर्व सिद्धि का मूल है ‘गुरुकृपा हि केवलम्, गुरोराज्ञा हि केवलम्’। गुरु आज्ञा, उनकी कृपा और उनकी शक्ति के बिना यह योग, यह सिद्धि संभव नहीं है। योग गुरु पतंजलि का सूत्र है- वीतराभविष्यं वा चित्तम्। यानी अपने चित्त को गुरु के ध्यान में लगाओ, यह सिद्धयोग या कुण्डलिनी महायोग का प्राण है। ध्यानयोग का रहस्य है। योग के पथ पर योग गुरु का महत्व
एकनाथ महाराज लिखते हैं ‘गुरु ध्यान करो’। श्री ज्ञानेश्वर भी इसी परंपरा को मानते हुए कहते हैं ‘गुरु ही मंत्र, गुरु ही तंत्र, गुरु ही सबकुछ है’। श्री गोरखनाथ, श्री नानक देव, श्री कबीर साहब सबने गुरु की महिमा गाई है। योग के पथ पर योग गुरु का महत्व