ऑस्टियोपोरोसिस के कारण, लक्षण, बचाव के उपाय
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण – ऑस्टियोपोरोसिस योग से ठीक करे
¢ऑस्टियोपोरोसिस को साइलेंट किलर भी कहते है। ऐसा इसलिए क्यों की जब शुरुआत में हड्डियों को नुकसानहोना सुरु होता है तो कोई खास लक्षण नजर नहीं आते है। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है और हड्डिया कमजोर होने लगती है। ऑस्टियोपोरोसिस योग से ठीक करे
1. खड़े होने का पोस्चर
2. जोडो और मांसपेशियों में दर्द होना
3. बैठने और खड़े होने में परेशानी होना
4. पीठ में दर्द होना
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के उपाय :-
1. प्रतिदिन योग करें।
2. कैल्शियम का सेवन अधिक करें।
3. स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन ना करे।
4. तनाव दूर करे।
5. अच्छा आहार ले।
6. विटामिन डी के लिए धूप सेकें।
ऑस्टियोपोरोसिस योग से ठीक करने का उपाय:-
योग के अभ्यास से हड्डियों में मजबूती लाने में विशेष सहायक है। आसनों के अभ्यास से आस्टियोपोरोसिस को ठीक किया जा सकता है। योग शरीर में रक्त संचार सुधारने में भी मदद करता है और रक्त संचार सुधारने का अर्थ है शरीर में पोषक पदार्थों का अवशोषण ज्यादा होना। ऑस्टियोपोरोसिस योग से ठीक करे
योगासन
1. पादहस्तासन
2. वीरभद्रासन
3. अर्ध चंद्रासन
4. उत्थित पार्श्वकोणासन
5. पर्वतासन
6. सेतु बंधासन
7. ऊर्ध्व धनुरासन
8. भुजंगासन
9. वृक्षासन
10. त्रिकोणासन
प्राणायाम से ठीक करने का उपाय
अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ:-
अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इसी तरह यदि नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्र से सांस को बाहर निकालते है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को कुछ योगी ने ‘नाड़ी शोधक प्राणायाम’ भी कहते है। उनके अनुसार इसके नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है यानी वे स्वच्छ व निरोगी बनी रहती है। इस प्राणायाम के अभ्यासी को वृद्धावस्था में भी गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायत नहीं होतीं।
फेफड़े शक्तिशाली होते है।
सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
गठिया के लिए फायदेमंद है।
मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार करता है।
पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
तनाव और चिंता को कम करता है।
पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।
सावधानियां :- ऑस्टियोपोरोसिस योग से ठीक करे
श्वास के प्रति सचेत रहें देखें कि यह शरीर और मन को कैसे प्रभावित करती है।
इसे शुरुआत में एक या दो मिनट के लिए प्रयास करें।
पहली बार जब आप कोशिश करते हैं, तो यह थोड़ा अजीब लग सकता है।
इसे केवल तब तक करें जब तक आप सहज हों।
अपने आप को अपने कम्फर्ट जोन से बाहर जाने के लिए बाध्य न करें।
असफल होने पर हमेशा दूसरी बार फिर से कोशिश कर सकते हैं।
नियंत्रण और आराम महसूस करना महत्वपूर्ण है।
अपना समय अपनी गति से बढ़ाएं।
शुरुआत में अनुलोम विलोम का अभ्यास प्रशिक्षित योग शिक्षक के साथ ही करें।
कपालभाति से लाभ
रोजाना कपालभाति करने से लिवर और किडनी से जुड़ी समस्या ठीक होती है।
यह दिमाग को तनाव मुक्त भी करता है।
यह आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है, और उन्हें मजबूत करता है।
कपालभाती को शरीर से विषाक्त पदार्थों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को निकालने के लिए जाना जाता है।
इस आसन को करने से याददाश्त और एकाग्रता शक्ति में सुधार होता है।
इसके अलावा यह आसन चिंता और तनाव को दूर करने की एक विश्वसनीय तकनीक है।
यह आपकी त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है और आपको एक चमकदार चमक देता है।
सावधानियां :- ऑस्टियोपोरोसिस योग से ठीक करे
कपालभाति करते वक्त आप सांस लेने की स्पीड को घटाएं या बढ़ाएं नहीं, एक समान रखें।
इस आसन को करते वक्त आपका पूरा ध्यान पेट के मूवमेंट पर होना चाहिए, सांसों पर नहीं।
कपालभाति करते समय आपके कंधे नहीं हिलने चाहिए।
सांस अंदर लेते वक्त पेट बाहर की ओर और सांस छोड़ते वक्त पेट अंदर की ओर होना चाहिए।
हार्निया, अल्सर या फिर सांस की बीमारी वाले लोग इसे न करें।
ओस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचने के लिए आहार
हड्डियों से जुड़ी समस्याएं आजकल बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि युवाओं को भी होने लगी हैं। खराब जीवनशैली, जंक फूड का अधिक सेवन, कैल्शियम जैसे विटामिनों की कमी, धूप से बचते रहना इसके कुछ कारण हो सकते हैं। इन गलत आदतों के कारण ही हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं और ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
पोटैशियम का अच्छा स्रोत होने के कारण केला खाना हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा, पोटैशियम की पूर्ति के लिए दूध तथा दुग्ध उत्पादों एवं शकरकंद और आलू को भी अपने आहार में शामिल करें।
आहार :-
1. विटामिन डी युक्त आहार:
विटामिन डी को सूरज की किरणों से सीधे प्राप्त किया जा सकता है इसके लिए आप सोया मिल्क, दुग्ध उत्पादों, चीज, मशरूम, अनाज, ऑरेंज जूस आदि को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
2. कैल्शियम युक्त आहार
दुग्ध उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर आदि के सेवन से कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, वहीं टोफू, पनीर, साबुत अनाज, केला, ब्रेड तथा बादाम भी कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।
3. मैग्नीशियम युक्त आहार
हड्डियों तथा जोड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए मैग्नीशियम भी आवश्यक होता है। मैग्नीशियम खनिज की पूर्ति के लिए आलू, टमाटर, पालक, शकरकंद आदि का सेवन फायदेमंद होता है।
4. पोटैशियम युक्त आहार
पोटैशियम का अच्छा स्रोत होने के कारण केला खाना हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा, पोटैशियम की पूर्ति के लिए दूध तथा दुग्ध उत्पादों एवं शकरकंद और आलू को भी अपने आहार में शामिल करें।
5. प्रोटीन युक्त आहार
प्रोटीन न केवल हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि बोन मास बढ़ाने में भी सहायक है। सूखे मेवे, बीज, फलियां, आलू, साबुत अनाज आदि प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं।